Na Janam Na Mrityu (Bhagwatgita Ka Manovigyan)

Na Janam Na Mrityu (Bhagwatgita Ka Manovigyan)

by Osho
Na Janam Na Mrityu (Bhagwatgita Ka Manovigyan)

Na Janam Na Mrityu (Bhagwatgita Ka Manovigyan)

by Osho

Hardcover

$33.99 
  • SHIP THIS ITEM
    Qualifies for Free Shipping
  • PICK UP IN STORE
    Check Availability at Nearby Stores

Related collections and offers


Overview

जो भी जन्मता है, वह मरता है। जो भी उत्पन्न होता है, वह विनष्ट होता है। जो भी निर्मित होगा, वह बिखरेगा, समाप्त होगा। हमारे सुख-दुःख, हमारी इस भ्रांति से जन्मते हैं कि जो भी मिला है वह रहेगा। प्रियजन आकर मिलता है, तो सुख मिलता है, लेकिन जो आकर मिलेगा, वह जाएगा। जहां मिलन है, वहां विरह है। मिलने में विरह को देख लें तो उसके मिलने का सुख विलीन हो जाता है और उसके विरह का दुःख भी विलीन हो जाता है। जो जन्म में मृत्यु को देख ले उससे जन्म की खुशी विदा हो जाती है, उसकी मृत्यु का दुःख विदा हो जाता है। और जहां सुख और दुःख विदा हो जाते हैं, वहां जो शेष रह जाता है, उसका नाम ही आनंद है। आनंद सुख नहीं है। आनंद सुख की बड़ी राशि का नाम नहीं है, आनंद सुख के स्थिर होने का नाम नहीं है, आनंद मात्र दुःख का अभाव नहीं है, आनंद मात्र दुःख से बच जाना नहीं है- 'आनंद' सुख और दुःख दोनों से ही ऊपर उठ जाना है। दोनों में ही बच जाना है

Product Details

ISBN-13: 9789355991997
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication date: 04/03/2024
Pages: 354
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.94(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

Customer Reviews